Bihar Jamin Jamabandi : पटना हाई कोर्ट के द्वारा अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 की धारा 9 (1) को उसे हद तक खत्म कर दिया है जो अपर समाहर्ता को उसे व्यक्ति को बेदखल करने की शक्ति प्रदान करता है। जिसकी जमाबंदी रद्द कर दी गई है और विद्या मलिक संरक्षक को भूमि पर कब्जा दिलाने की शक्ति प्रदान करता है।
मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन एवं न्यायाधीश हरीश कुमार की खंडपीठ ने इसे भारत के संविधान के विपरीत पाते हुए इसे निरस्त कर दिया।
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संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता है
Bihar Jamin Jamabandi याचिका करता के अभिवक्ता गौतम केजरीवाल के खंड पीछे को यह दलील दी कि किसी भी व्यक्ति को कानून की उचित प्रक्रिया के अभाव में किसी भी व्यक्ति को संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता है।
आगे उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भले ही अधिनियम 2011 की धारा 9(1) और नियम 13 ( 11) और 13 ( 12) के अनुसार अपार स्माहर्यता की शक्ति को कुछ समय के लिए स्वीकार कर लिया जाए। लेकिन किसी भी व्यक्ति का अधिकार शीर्षक और अचल संपत्ति में कब्जे के जटिल मुद्दों के निर्धारण का अधिकार केवल सिविल कोर्ट को है। उन्होंने कोर्ट में बताया की जमाबंदी में कब्जा धारी व्यक्ति को भूमि से बेदखल कर दिया जाता है। जबकि यह सामान्य बात है कि दाखिल खारिज से स्वामित्व का निर्धारण या निर्णय नहीं होता है।
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